


देश की सर्वोच्च अदालत ने शिक्षकों को लेकर एक अहम आदेश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अब शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना अनिवार्य होगा। जो शिक्षक यह परीक्षा पास नहीं कर पाएंगे, वे पद पर बने नहीं रह सकेंगे। यह निर्णय शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जिन शिक्षकों की सेवा में 5 साल या उससे अधिक का समय शेष है, उन्हें अनिवार्य रूप से TET पास करना होगा। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि TET में असफल रहने वाले शिक्षक या तो स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले सकते हैं या फिर सेवा से बाहर कर दिए जाएंगे। ऐसे शिक्षकों को टर्मिनल बेनिफिट्स (सेवा लाभ) दिए जाएंगे।
यह आदेश तमिलनाडु और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों से आई याचिकाओं के आधार पर सुनाया गया है, लेकिन इसका प्रभाव पूरे देश के शिक्षकों पर पड़ेगा।
NCTE ने 2010 में तय की थी पात्रता
नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने वर्ष 2010 में यह न्यूनतम शैक्षिक पात्रता तय की थी कि कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले शिक्षकों को नियुक्ति के लिए TET उत्तीर्ण करना आवश्यक होगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि इस परीक्षा से ही शिक्षक की गुणवत्ता सुनिश्चित होती है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि क्या राज्य सरकारें अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षकों पर भी TET अनिवार्य कर सकती हैं? अदालत ने कहा कि इस मुद्दे पर विचार अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच करेगी। मामला बड़ी बेंच को रेफर कर दिया गया है।